भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

गतिविधियाँ यदि ठीक हों / त्रिलोक सिंह ठकुरेला

Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:20, 6 अक्टूबर 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=त्रिलोक सिंह ठकुरेला |अनुवादक= |स...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

गतिविधियाँ यदि ठीक हों, सब कुछ होगा ठीक।
आ जायेंगे सहज ही, सारे सुख नजदीक॥
सारे सुख नजदीक, आचरण की सब माया।
रहे आचरण ठीक, निखरते यश, धन, काया।
'ठकुरेला कविराय, सहज मिलतीं सब निधियाँ।
हो सुख की बरसात, ठीक हों यदि गतिविधियाँ॥