भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

गति / अदोनिस

Kavita Kosh से
Anupama Pathak (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:04, 20 दिसम्बर 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अदोनिस |अनुवादक=अनुपमा पाठक |संग...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मैं अपने शरीर के बाहर यात्रा करता हूँ, और मेरे भीतर ऐसे महाद्वीप हैं
जिन्हें मैं नहीं जानता. मेरा शरीर
अपने बाहर एक शाश्वत गति है.
मैं नहीं पूछता: कहाँ से? या कहाँ थे तुम? मैं पूछता हूँ, कहाँ जाता हूँ मैं?
रजकण मुझे देखते हैं और परिवर्तित कर देते हैं रजकण में,
जल देखता है मुझे और अपना सहजात बना लेता है.

वास्तव में, कुछ भी शेष नहीं बचता गोधूलि बेला में सिवाए स्मृतियों के.