Last modified on 9 नवम्बर 2009, at 11:21

गमन / आग्नेय

Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:21, 9 नवम्बर 2009 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

फूल के बोझ से
टूटती नहीं है टहनी
फूल ही अलग कर दिया जाता है
टहनी से

उसी तरह टूटता है संसार
टूटता जाता है संसार--
मेरा और तुम्हारा

चमत्कार है या अत्याचार है
इस टूटते जाने में
सिर्फ़ जानता है

टहनी से अलग कर दिया गया
फूल