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गम नहीं, गम नहीं, गम नहीं... / महेंद्र अग्रवाल

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गम नहीं, गम नहीं, गम नहीं
ग़मज़दा आपसे , कम नहीं

लफ़्ज़ बेशक बहुत शोख है
आपकी बात में दम नहीं

चोट पर चोट की आपने
आँख फिर भी हुई नम नहीं

पांव चलते रहे उम्र भर
सामने भी सफ़र कम नहीं

खुश्क व्यवहार आदत में है
लफ़्ज़ सूखे है शबनम नहीं