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गयी जो तिफ़्ली तो फिर आलम-ए-शबाब आया / मरदान अली ख़ान 'राना'

गयी जो तिफ़्ली<ref>बचपन </ref> तो फिर आलम-ए-शबाब<ref> जवानी </ref> आया
गया शबाब तो अब मौसम-ए-ख़िज़ाब आया

मैं शौक़-ए-वस्ल<ref> मिलन का शौक़ </ref> में क्या रेल पर शिताब<ref> तेज़ी से/झट-पट </ref> आया
कि सुबह हिन्द में था, शाम पंज-आब<ref> पंजाब</ref> आया

कटा था रोज़-ए-मुसीबत ख़ुदा-ख़ुदा करके
ये रात आयी कि सर पे मेरे अज़ाब आया

कहाँ है, दिल को अबस<ref> बेकार/फ़िज़ूल में </ref> ढूँढते हो पहलू में
तुम्हारे कूचे में मुद्दत से उसको दाब आया

किसी की तेग़-ए-तग़ाफ़ुल<ref> नज़रअंदाज़ करने की आदत रूपी तलवार </ref> का मैं वो कुश्ता<ref> क़त्ल किया हुआ/मारा हुआ </ref> हूँ
न जागा, नेज़े<ref> सर पे </ref> पे सौ बार आफ़्ताब<ref> सूरज का प्रकाश </ref> आया

नज़र पड़ी न मेरी रौब-ए-हुस्न<ref>सुन्दरता का रौब </ref> से रुख़<ref> चेहरा </ref> पर
अगरचे<ref> यद्यपि </ref> सामने मेरे वो बे-नक़ाब आया

हमेशा सूरत-ए-अंजुम<ref> सितारों की तरह </ref> खुली रहीं आँखें
फ़िराक़-ए-यार<ref> प्रियतमा की जुदाई </ref> में किस रोज़ मुझको ख़्वाब आया

हुआ यकीं कि ज़मीं पर है आज चाँद-गहन<ref> चन्द्रग्रहण </ref>
वो माह<ref> चाँद </ref> चेहरे पे जब डाल कर नक़ाब आया

हुए जो दीदा-ए-गिर्या<ref> रोती हुई आँखें </ref> से अपने अश्क रवाँ<ref> बहना/जारी होना </ref>
गुमाँ<ref> भ्रम/आशंका </ref> हुआ कि बरसता हुआ सहाब<ref> बादल </ref> आया

बना तसव्वुर-ए-लैला<ref> लैला की कल्पना </ref> ब-सूरत-ए-तस्वीर<ref> चेहरे की तस्वीर के साथ </ref>
कभी जो क़ैस<ref> मजनूँ का नाम </ref> की आँखों में शब को ख़्वाब आया

वो ज़ूद-ए-रंज<ref> जल्दी ग़ुस्सा हो जाने वाला </ref> है उसको न छेड़ना 'राना'
मलोगे हाथ अगर बरसर-ए-इताब<ref> क़हर </ref> आया

शब्दार्थ
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