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जबकि जिंहा मुख्यालय होवय, यने क्षेत्र के मुख्य स्थानउहां विधायक बर बनवावय – शासन खुद कर खर्च मकान।काबर के हम जनप्रतिनिधि अन, कतको व्यक्ति हमर तिर आतओमन असमय ठइर के सोवंय, उंकर रुके बर होय प्रबंध।”डेंवा किहिस – “पता चलगे सच – दिया बरत पर घुप अंधियारजेन दुसर ला सुविधा बांटत, कृषक असन अमरात अभाव।तुम्हर हाथ मं राइ दुहाई, खुद कर लव पारित प्रस्तावजेन जरुरत सुविधा धर लव, तुम्हर हाथ ला छेंकत कोन।”घना कथय नारी जुड़ाये अस – “सत्य मान हम हन असमर्थअपन मांग यदि पूर्ण करत खुद, सब तन ले परिहय बद बान।कुकरी हा अण्डा कई देथय, मगर खाय नइ खुद हा एकगाय पियावत पर ला गोरस, लेकिन अपन पाय नइ चीख।अधिकारी के सक्षमता सुन – कलम के ताकत उनकर हाथओमन ला यदि सुविधा चहिये, सब सुविधा लेवत बिन आड़।कतको नियम कानून बनाथंय, पूर्ण करत जे उंकरे स्वार्थओकर हम रहस्य नइ जानन, तब उनकर का करन विरोध।जनता के हित जउन मं होथय, ओकर हम रखथन प्रस्तावतब अधिकारी हमला छेंकत – नियम विरुद्ध होत हे काम।”इंकर गोठ हा ठिंहा गीस तंह जावत बंगला कोती।घना चलत बेधड़क मगर डेंवा के कांपत पोटा।डेंवा तुरुत घना ला बोलिस -”तंय बंगला मं अइसे जातमानों ओहर आय तोर घर, पर मंय हिरदे ले घबरात।मंय हा सदा तोर घर जांथव, तब घुसरत बिन डर संकोचतोर समीप जेन मन बोलत, मान घसलहा त्यागत भेव।पर अधिकारी तिर पहुंचे बर, मोर हृदय ला धुक धुक होतभइगे तिंही एक अंदर जा, मंय हा रुकत इही स्थान।”डेंवा हा बाहिर मं बिलमिस, मार बहाना लपझप बोलओहर खुश हे जीवन बंच गिस, जइसे गरी ले बपरी मीन।घना एक मनखे ला देखिस – ठेकादार बगस जे आयसाहब ले मिल हांसत लहुटत, लगत – अमर लिस ध्येय अभीष्ट।घना विधायक बगस ला बोलिस -”तंय हा दिखत प्रसन्न विभोरकाय बात हे सच सच फुरिया – पाय हवस का भगती ओल?”बोलिस बगस- “ठीक समझे हस – साहब पास रिहिस हे कामपर साहब हा झड़य छटारा, टरका के खेदिस कई बार।मंय हा मंत्री तिर कलपेंव तंह, मंत्री डारिस डंट के दाबआखिर साहब काम करे बर, मोला सच आश्वासन दीस।”“मंत्री के तंय खास व्यक्ति अस, तब ओहर दिस आशिर्वादतोर काम अब पूरा होहय, मौज करव अउ मजा उड़ाव।”बाबूलाल तिर घना पहुंचिस, अधिकारी हा स्वागत देतओहर भृत्य हुकुम ला बोलिस -”ऊगिस आज मोर तकदीर।आय विधायक हा किरपा कर, ओकर खाय पिये बर लान।”हुकुम लान नाश्ता राखिस तंह, घना हा खावत मिट्ठी चीज।घना हंसत उद्देस्य मं आथय -”साहब मन ला जानत खूबआवभगत कर मीठ खवाथंय, तंह जुड़ जावत रिश्ता मीठ।पर एकर ले घाटा खाथन, रख नइ सकन निवेदन मांगअगर पेल के दुखड़ा रोथन, तब रिश्ता मं करुदरार।अपन बेवस्ता मं अब आवत, मोर प्रश्न के लान जुवाप –बांध बने कब नरियर फोरत, यने कोन दिन मुहरुत होत?”बाबूलाल मुड़ ला धर बोलिस -”कहां के बांध कहां के निर्माणमोर पास आदेश आय नइ, तब आश्वासन कहां ले देंव!”घना अचम्भित होवत पूछिस -”छेरकू मंत्री बोलिस जेनतंय कोलिहा अस भरे हुंकारु, वास्तव मं सब झूठ सफेद?”बाबूलाल रहस्य ला खोलत -”हम अधिकारी अइसन शेरमार दहाड़ डरावत सब ला, पर पोतकी मं जान बचात।बन अजाद जंगल मं किंजरत, सोनकुकुर हा मारत घेरजंगल छोड़ गांव तन भागत, ग्रामीण दउड़त धर बन्दूक।यने बने हन हम अधिकारी, पर नइ पाय पूर्ण अधिकारसब तन ले गुचकेला खावत, शासन रखे हवय कंस छांद।यदि जनता के काम हा रुकथय, तब ओहर विरुद्ध चिल्लातमंत्री तिर हम करत प्रार्थना, देवत उहू डांट नुकसान।मंत्री हा झड़ दीस लबारी – बांध बने भेजेंव आदेशलेकिन प्रति अप्राप्त हमर तिर, आगू कहां बढ़य कुछ काम!यदि मंत्री ला लबरा कहितेंव, यदि कट जातिस ओकर गोठफोकट कष्ट मोर पर आतिस, बादर बिगर करा बरसात।मंत्री के मंय पक्ष धरे हंव, विवश बाद बोले हंव झूठधोखा खाय मोर कारण तंय, तंय अब बिसर कुजानिक मोर।जब आदेश मोर तिर आहय, तोर याद करिहंव तत्कालकाम पुरो के सांस ला लेहंव, मंय तोला देवत विश्वास।अब मंय अपन पोल दुख खोलत – मंय कइसे होवत मजबूर –थोरिक पूर्व आय जे मनखे, ठेकादार बगस ते आयओहर ठेका लीस एक ठक, ओहर काम करा दिस पूर्णप्रस्तुत करिस प्रमाण कागजी, पर वाजिब मं काम अपूर्ण।भेद जान मंय करेंव निरीक्षण, मंय हा पाय शिकायत ठीकबचे काम ला बगस पुरोवय, अइसे सोच चलेंव मंय चाल।बिल के रुपिया काट देंव मंय, रोक देंव अंतिम भुगतानएमां बगस कलबलागे तंह, मंत्री तिर फोरिस सब हाल।मंत्री दूरभाष ला नेमिस, मोर साथ कर लिस सम्पर्क-“बगस ला काबर अरझावत हव, ओकर काम पूर्ण कर देव।’ऊपर ले दबाव जब देवत, तब मंय होवत हंव मजबूरबगस के उद ला जरा सकत नइ, करना परत निंदनीय काम।
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