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गरीबा / धनहा पांत / पृष्ठ - 17 / नूतन प्रसाद शर्मा

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संगी, मान मोर कहना तंय, इंहचे करतब ला कर पूर्ण
हमर देश के शक्ति भयंकर, दुश्मन के निश्चय मद चूर्ण।”
भारत अपन साथ नइ लेगिस, यद्यपि मंय नंगत कलपेंव
ओकर कहना मान कलेचुप, मन मसोस इंहचे रूक गेंव।
चलत बखत भारत के मुंह ले, हकरस “जय किसान” निकलीस
उसने मोर जबान ले घल्लोे, भकरस “जय जवान” बिछलिस।
ओकर गुरतुर बोली के सुरता रहिहय जिनगानी।
जउन बताय बात मंय तेहर – नोहय कथा कहानी।
दसरु कथय -“देश उन्नति बर, जीवन देत किसान जवान
लेकिन मुट्ठी भर घालुक मन, देखत अपन स्वार्थ अउ शान।”
कथय गरीबा -“सत्य कहत हस, देख हमर खुद गांव के हाल
सोनसाय हा अपन बढ़े बर, पर ला करिस दीन कंगाल।”
दसरु टोंकिस -“बता साफ तंय – काबर डांड़िन जुरूम का खोल
का अनियाव करे हस तंय हा, चहत हेरना रस पिचकोल?”
देत गरीबा समाचार सच – “जउन बुर्जआ धन धनवान
ओमन न्याय ला घुमवा देथंय, तब तो चलत उंकर यश गान।
ककरो घात करेंव नइ मयं हा, तब ले करिन सुंटी बंध डांड़
जेमन शोषित हवंय तहू मन, टोरत हें रगड़ा ला मोर।
सोनू नाथे हे सब झन ला, उवत बुड़त बाढ़ी ऋण नाप
तेकर कारण डरत सबो झन, सोनू के नइ करत खिलाफ।”
तभे गरीबा नजर घुमाथय, कातिक हा दिख जथय फटाक
कथय गरीबा हा दसरु ला -“कातिक हा ओरखत सब बात।
यदि सोनू तिर चुगली खाहय, मोर विरूध्द मं भरही कान
सोनू हा दुश्मनी भंजाहय, मोर मुड़ी पर दुख के गाज।”
दसरु हंसिस -“वाह संगवारी, समझ आय नइ तोर दिमाग
सोनू के नौकर ला डरथस, कातिक कब से ए हुसनाक!
ओला लगा तीन थपरा गिन, का कर सकिहय ओहर तोर
ओला तंय फोकट डर्रावत, का उखानिहय कातिक चोर!”
“कोन ला दोंगरंव – कोन ला कुचरंव, सब मनसे मन हितू मितान
हमर बीच मं भिनाफूट तब, लड़ के होवत अपन – बिरान।
कुथा कुथा हम राह चलत हन, एक बुद्धि नइ शोषित – बीच
जहां सर्वहारा मन एकजई, भर्रस गिरही शोषक – शक्ति”
बहुत बेर तक इसने गोठिया, दसरु गीस करेला गांव
कमा गरीबा वापस होवत, अब आवत घर जाय के याद।
गुनमुनात चले आत गरीबा, धनवा मिलिस भूमि पटियाय
ओहर बिखहर साँप ला देखिस, ओकर जीव सुकुड़दुम सांय।
बिखहर सांप सरसरा भगगे, करत गरीबा मन मं सोच –
धनसहाय ला बेल हा छू दिस, लेकिन बचे हे एकर जान।
यदि मंय धनवा ला छोड़त हंव, जहर हा भिनही जमों शरीर
तंहने धनवा बचन पाय नइ, समा जहय मिरतू के गाल।
जमों कलंक मोर मुड़ आहय तब जोंगंव ए बूता।
धनवा ला मंय साथ मं लेगंव बांच जाय जिनगानी।
धनवा ला उठाय लेगे बर, जहां गरीबा करिस उदीम
फट प्रतिरूप खड़ा हो जाथय, ओकर काम के करत विरोध –
“अरे अरे, तंय काय करत हस, धनसहाय हा दुश्मन तोर
तोर विरूध्द मं षड़यंत्र रच दिर्स , मेटिस तोर मान सम्मान।
तोला जब बिच्छी हा चाबिस, तोर मदद ले भागिस दूर
आज पाय हस उत्तम अवसर, शत्रु – साथ तंय ले प्रतिशोध।
धनसहाय ला छोड़ मरे बर, ओकर मदद करो झन भूल
पर बर जेन हा गड्ढा कोड़त, करूलीम अस फल ला पाय।”
दीस गरीबा हा झिड़की कई -“शत्रु के परिभाषा ला जान
होय समर्थ – करय टक्कर भिड़, छाती अंड़ा खड़ा हो जाय।
पर धनवा हा अभी शत्रु नइ, ओहर परे हवय असहाय
ओला मरत देख यदि जाहंव, तब मंय हा कायर डरपोक
धनसहाय के मदद मंय करवं, ओहर होय स्वस्थ अतिशीघ्र
तब मंय जोम के टक्कर लेवंव, इही बहादुर नर के काम।”
“धनवा कभू मदद नई मांगिस, तोर ले घृणा करिस सदैव
तब तयं काबर आगू जावत, अपन पांव ला पाछू लेग।”
” ओहर धनवा के घमंड बस, जेहर टूट गिस जस सूत
मंय हा आज प्रमाण रखे हंव- ओला मोर जरूरत खूब।
मंय हा ओकर करत सहायता, तब परिणाम ला तंहूँ जान
धनसहाय हा खेल हार गिस, मोर गला मं जीत के हार।”
धरिस गरीबा हा धनवा ला, ओकर घर के तिर मं लैस
समाचार हा गांव मं फइलिस, लग गिस उहां कसाकस भीड़।
सोनू अपन पुत्र ला देखिस, तंह पूछत हे आंख नटेर-
“धनवा रिहिस हे टाटक टौहा, हंसत फूल अस ओकर देह।
सगर कहां ले राहु सपड़गे, उदुप झपागे कोन अजार
लाश असन हिल डुल नइ पावत, एको झन जुवाप सच देव?”
भीड़ मं रिहिस परस हा घलो, हांक बजा बोलिस फटकार-
“धनसहाय के दुर्गति होइस, ओमा हवय गरीबा के हाथ।
रखत गरीबा कपट ह्रदय मं, तब मारे बर करिस उपाय
मगर चलाकी साथ मं चलिस, धनवा ला खुद धर के लैस।
अब ओकर पर दोष आय नइ, बचिस गरीबा दगदग साफ
सांप हा डस के प्राण ला हरथय, लेकिन चमकत ओकर देह।”
परस हा कई ठक दोष लगाइस, तंह कातिक हा हुंकि भरीस-
“कहत तउन पतियाय लइक हे, एमा हवय गराबा के हाथ।
थोरिक पूर्व गरीबा दसरू, बोलत रिहिन एक ठक ठौर
अपन दुश्मनी ला भंजाय बर, रच षड़यंत्र हेर लिन दांव”
सोनू सनकिस – “यदि धनवा के जीवन हा कुछ घाटा।
“तंय हा खूब बंड – बेंवट हस, किंजरत मुड़ मं ना के राख।
अपन काम के त्याग करे हस, छयलानी मारत दिन रात
मोर नाक ला फिर कटवाबे, अइसे भुरभुस जावत आज।
काय काम मं अरझे बाहिर, जेमां होगिस अड़बड़ बेर
के ठक डोंगरी फोर ओदारेस, मारे हस कतका ठक शेर?”
पहिलिच घाव बने तेमां अब, मिरचा भुरक के चुपरत बाप
मगर गरीबा शांत बुद्धि रख, देइस बिल्कुल स्वच्छ जवाब –
“मंय हा ककरो मदद करे हंव, या पर के कर देंव उपकार
अइसन बात बताय चहत नइ, बस अतका अस चहत बताय –
तंत्र मंत्र अउ अंध भरोसा, गलत काम के खुल गिस पोल
ओहर आज लड़ई मं हारिस, विजय पैस वैज्ञानिक दृष्टि।
मंय हा अब विश्वास करत हंव, गांव हा चलिहय राह नवीन
सब ग्रामीण रूढ़ि ला तजिहंय, रखिहंय दृष्टिकोण ला साफ।”
समाचार सुन सुध्दू बोलिस -“जान पाय नइ वाजिब भेद
पर अब ठंउका खभर ज्ञात कर, गलत जोहारेंव तेकर खेद।”
कथय गरीबा – “उमंझ आय नइ – अपन काम ला रखथंव ठीक
पर हित करथंव तब ले काबर, सब हो जाथंय मोर खिलाफ।”
सुद्धूु सुनिस पुत्र के कलपई, देत सांत्वना भर उत्साह –
“समय ले बढ़ अउ कोन परीक्षक, उहि अनुसार करो निर्वाह।
जइसे बार बार गिर मकड़ी, आखिर मं जीतत हे होड़
कतको विपदा आय तोर तिर, मगर भाग झन करतब छोड़।
प्रतिक्रियावादी ले झन डर्रा, अंड़िया के ले लोहा।
वर्तमान टेंटें बोलत पर उनकर भविष्य सोहा।

धनहा पांत समाप्त