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गर्दिश में अगर मेरा सितारा नहीं होता / ओम प्रकाश नदीम

गर्दिश में अगर मेरा सितारा नहीं होता ।
मुझको तेरा उपदेश गवारा नहीं होता ।

थोड़े ने जगा दी है बहुत-कुछ की तमन्ना,
अब क्या करें थोड़े में गुज़ारा नहीं होता ।

दुनिया से हमें इतनी मोहब्बत नहीं होती,
दुनिया में अगर कोई हमारा नहीं होता ।

हर ज़र्रे को सूरज में बदल दे कोई फिर भी,
नज़रें नहीं होतीं तो नज़ारा नहीं होता ।

कुछ सोच न पाता कि मैं लौटूँ कि न लौटूँ,
कुछ सोच के तुमने जो पुकारा नहीं होता ।