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गले में बाहें डाले चैन से सोना जवानी में / यगाना चंगेज़ी

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गले में बाहें डाले चैन से सोना जवानी में।

कहाँ मुमकिन फिर ऐसा ख़्वाब देखूँ ज़िन्दगानी में॥


ग़नीमत जान उस कूचे में थककर बैठ जाने को।

किसे दम भर मिला आराम दौरे-आसमानी में॥


यकसाँ कभी किसी की न गुज़री ज़माने में।

यादश बख़ैर बैठे थे कल आशियाने में॥


सदमा दिया तो सब्र की दौलत भी देगा वो।

किस चीज़ की कमी है सख़ी के ख़ज़ाने में॥


अफ़सुर्दा ख़ातिरों की ख़िज़ाँ क्या, बहार क्या।

कुंजे-क़फ़स में मर रहे या आशियाने में॥


हम ऐसे बदनसीब कि अब तक न मर गये।

आँखों के आगे आग लगी आशियाने में।


दीवाने बनके उनके गले से लिपट भी जाओ।

काम अपना कर लो ‘यास’ बहाने-बहाने में॥