Last modified on 7 मई 2018, at 00:10

गहरा सूनापन / अवनीश त्रिपाठी

इंटरनेट,
सोशल साईट से
रिश्ता-अपनापन
टी.वी. चेहरे
मुस्कानों के
मँहगे विज्ञापन

धूप-रेत
काँटों के जंगल
ढेरों नागफनी,
एक बूँद-
बंजर जमीन पर
गाँड़र,कुश,बभनी
मेज,फाईलें
बिखरे काग़ज़
फारवर्डिंग सिग्नेचर,
कसे हुए दिन
खाना-पीना
रुकना- पिछड़ापन

धुँआ,मशीनें
बोल्ट-घिरनियाँ
केबिन, गहरी बातें
सड़कें,ट्रकें
शोरगुल-चीखें
और धुँआती रातें
व्हिस्की-शैम्पेन
बड़ी पार्टियाँ
आवाजों में चीयर,
बँगले-नौकर
बूढ़ी खासी
गहरा सूनापन