भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

ग़म को भी अपने छुपाना सीखिये / डी. एम. मिश्र

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

ग़म को भी अपने छुपाना सीखिये
लाज़िमी है मुस्कराना सीखिये

है कहावत दिल मिले या न मिले
हाथ तो लेकिन मिलाना सीखिये

काम सब बिगड़े हुए बन जांयेगे
लोगों पे जादू चलाना सीखिये

हाल उसका पूछिये कैसे हैं आप
रस्म है, इसको निभाना सीखिये

पीठ पीछे कुछ किसी को भी कहो
सामने गर्दन झुकाना सीखिये

आदमी गर आपके है काम का
उससे फिर मिलना-मिलाना सीखिये

सिर्फ़ रिश्ते जोड़ना काफी नहीं
आप रिश्तों को निभाना सीखिये