(१)
छिपा दिया है राजनीति ने बापू! तुमको,
लोग समझते यही कि तुम चरखा-तकली हो।
नहीं जानते वे, विकास की पीड़ाओं से
वसुधा ने हो विकल तुम्हें उत्पन्न किया था।
(१)
छिपा दिया है राजनीति ने बापू! तुमको,
लोग समझते यही कि तुम चरखा-तकली हो।
नहीं जानते वे, विकास की पीड़ाओं से
वसुधा ने हो विकल तुम्हें उत्पन्न किया था।