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गाँव इतना ज़्यादा बदल जाएगा मैंने सोचा न था / ज्ञान प्रकाश विवेक
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11:38, 7 दिसम्बर 2008
उम्र के साथ सब कुछ बदल जाएगा मैंने सोचा न था
इक खिलौना जो मिट्टी का लाया था मैं जाके बाज़ार
में
से
वो भी बारिश के पानी में गल जाएगा मैंने सोचा न था.
</poem>
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