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गाँव कहाँ बा? / सुभाष पाण्डेय

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छेव लगे तरुआरन केरि घवाहिल देह बचाव कहाँ बा?
पीपर जामुन आम कटाइल आतप में कहुँ छाँव कहाँ बा?
धाइ धधाइ धरे अँकवारि परंतु हिए सहभाव कहाँ बा?
लोग लखात सवारथ साधत भूँइ उहे पर गाँव कहाँ बा?


खेलत कूदत जेहि जगे लरिकानि बदे फरदाँव कहाँ बा?
होखत साँझ बिहान जुरे जरले कुढ़ना उ अलाव कहाँ बा?
लम्पट चोर उचक्कन के बड़वारि हदे बिलगाव कहाँ बा?
भीतर औरि त बाहर औरि लखात परे अब गाँव कहाँ बा?

जागित जोत कबो सगरी हिरदा बरिते अस चाव कहाँ बा?
सूखल नेह नदी मन के लउके नहिं नीर बहाव कहाँ बा?
पीर बुझे अनके अपने अब ऊ मृदुभाव जुराव कहाँ बा?
लोग उहे उतजोग उहे अलगा अलगा सभ गाँव कहाँ बा?


रोज धरोहर धूरि सनात बिलात ओरात बचाव कहाँ बा?
टूटत जात छने भर में परिवार समंध लगाव कहाँ का?
झूमरि सोहर फाग बिहाग गवात रहे तस छाव कहाँ बा?
आजु कपार बिदेस सवार गुनीं कि भुलाइल गाँव कहाँ बा?