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गांव में / सरोजिनी कुलश्रेष्ठ

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चलो भाइयों गाँव में
प्यारे-प्यारे गाँव में
खुली हवा में पगडंडी पर
घूमेंगे हम गाँव में
फिर खेतो में होले खाने
जाएंगे हम गाँव में,
प्यारे-प्यारे गाँव में
मिट्टी से ही बने हुए हैं
सुन्दर घर उस गाँव में
सोंधी-सोंधी वास उड़ेगी
फूलों से उस गाँव में
थक जाएंगे तो बैठेंगे
घने नीम की छांव में
भोले भाले बच्चों के संग
खेलेंगे हम गाँव में
प्यारे-प्यारे गाँव में
नगरो का यह वायु प्रदूषण,
नहीं कभी भी गाँव में
रोटी जिसकी हम खाते
वे गेहूँ उगते गाँव में
प्यारे-प्यारे गाँव में