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गांव से है न अच्छा कभी ये शहर / अवधेश्वर प्रसाद सिंह

गांव से है न अच्छा कभी ये शहर।
रोज होते यहाँ हर गली में कहर।।

आबरू लूटते हैं दरिंदे यहाँ।
बालिका पर यहाँ है सभी की नज़र।।

अब भला किस तरह हो गुजारा यहाँ।
त्राहियों में सभी हर घड़ी हर पहर।।

लाज शरमा रही चारसू देखिये।
राहजन दीखते हर डगर हर नगर।।

गांव अच्छा यहाँ ज़िन्दगी के लिये।
साथ रहती हमेशा जहाँ हम सफर।।

मुफ्त मिलती हवा और पानी यहाँ।
साफ-सुथरी यहाँ है सभी की नज़र।।