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गाछ / मुनेश्वर ‘शमन’

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गाछ ले हइ कम,
दे हइ ढ़ेरमनी।
ले हइ की,
थोड़-बहुत सेवा।
मुदा दे हऽ /
फूल-फल-छाँह
आउ सबसे बढ़ के
जीवन जीअइ खातिर /
ऑक्सीज़न।
लोग बाग
कोय झँटाह के ओकर टहनी
कोय पतवा तऽ
कोय ओकर डढिये
तोड़/ काट ले हइ।
दरद दे- दे के छोड़ दे हइ।
ओकरो ऊ गाछ
अप्पन छाया देबइ से
कभियो इन्कार नञ करऽ हइ।
अप्पन फूल-फल से
बंचित नञ करऽ हइ।
माय-बाप /
ओइसने झमटगर / छतनार
छायादार गाछ होवे हे।