भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

गाड़ा जुप्या रे देव गाडुला / निमाड़ी

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:57, 21 जनवरी 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |रचनाकार=अज्ञात }} {{KKLokGeetBhaashaSoochi |भाषा=निमाड़ी }...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

गाड़ा जुप्या रे, देव, गाडुला
नांदिया घूघर माल,
धवळा घोड़ा को रे म्हारो उंकार देव,
तुम पर उड़ऽ रे निशाण,
आवऽ तेखऽ रे देव, आवणऽ दीजो,
आड़ी नारेल की माल।