Last modified on 8 मार्च 2017, at 13:07

गामक-गाम छै भोजक सोर / नवल श्री 'पंकज'

गामक-गाम छै भोजक सोर सभमे लागल इरखक जोर
सात गाम धरि नोतल जवारी हएत बैसारी तोरक-तोर

बैसल भरि दिन फाँकि जमानि अंतरी सटकल पी-पी पानि
होइत विजोह लोटा तकलनि घरबैयाक धेलनि पछोड़

इरखक मँहगी टाका सस्ता जानसँ फाजिल केलनि व्यवस्था
वैष्णव लै तरुआ तिलकोर बांकी सभ लेल रहुअक झोर

लिअ' करू शकरौरीक दर्शन खूबे सुरकू ल' ल' परसन
कठगर दही संग रसगुल्लो थै-थै भ' गेल रहल बेजोड़

गहना बन्ह्की खेतो भरना विधि पाछा बुधि भेलए हरण
लोक देखउंसे अन्हराएल छैक सभमे लागल अन्हरा होड़

मूल त' ओहिना धएले रहलै सूदि त'र गेल गाछी-ब'रद
एक्के साँझक भोजक पाछा कएक बरख धरि बहलै नोर

केदनि पुछैए नीक चलनकें सभ कुरीतिक दास बनल
मिथिला मारल कतेक कुरीतिक कहिया हेतै ज्ञानक भोर

"नवल" नीक छै बारीक बथुआ रिन ल' क' नै खाएब पड़ोर
ओतबे पर जा टांग समेटी जतए खतम चद्दरिक कोर