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गायेगी फगुवारी टोली / शीलेन्द्र कुमार सिंह चौहान

गायेगी फगुवारी टोली

हँसी ठिठोली
से भर झोली
आई है मनभावन होली


रफ्ता रफ्ता
रंग चढ़ेगा
कुछ मलाल का ,कुछ गुलाल का
दिन अंगूरी
हो बहकेंगे
लहकेगा तन नये साल का
गीत प्यार के
गूँज उठेंगें
मन खेलेगा आँख मिचौली


दहक उठेंगे बूढ़े सेमल
पा फागुनी हवा के झोंके
बौरेंगे
आमों के बिरवे
होंगे बेर जवां बिन टोंके
चौपालों में
ढोल बजेंगे
गायेगी फगुवारी टोली।