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गारी गावे जनकपुर की नारिया / बुन्देली

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

गारी गावें जनकपुर की नारियां,
दूल्हा श्री रामजी बने
जनक पहुंचे है जाय, विनती कीन्ही समुझाय
कुंअर दीजे पठाय,
हां हो गई कलेऊ की तैयारियां। दूल्हा...
करके सुन्दर वे शृंगार, आये अपने हैं ससुरार
लिये आरती सबईं उतार
रानी लाई हैं पूजा की थालियां। दूल्हा...
दिये उनको आदर सम्मान, लिये वे हैं सबके जजमान
सबने उनसे की पहिचान
कहो कैसे तुम्हारी महारानियाँ। दूल्हा...
आई सोने की थार, परसो व्यंजन बहुत प्रकार
भोजन करते चारों कुमार
सासो परसती है पूड़ी-कचौड़ियां। दूल्हा...