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गिरजे के सामने एक बुढ़िया / बैर्तोल्त ब्रेष्त / उज्ज्वल भट्टाचार्य

रविवार सुबह । गिरजे के सामने एक बेंच पर
ग़रीब तबके की एक बुढ़िया ।
अन्दर ऑर्गन का संगीत । बुढ़िया का ध्यान चिड़ियों के चहचहाने पर ।
उसकी बहनें माँग रही हैं ईश्वर का आशीर्वाद । वह इकट्ठा कर रही है
धूप की कुछ गर्म किरणें, जैसे थकी-हारी बटोरने वाली
फ़सल कटने के बाद बचा अनाज बटोरती है ।

मूल जर्मन भाषा से अनुवाद : उज्ज्वल भट्टाचार्य