Last modified on 18 फ़रवरी 2020, at 19:02

गिलहरी / राहुल शिवाय

Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:02, 18 फ़रवरी 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राहुल शिवाय |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

मन को बहुत गिलहरी भाती
घर में रहती आती-जाती
भोली-भाली बहुत लजीली
देख सभी को यह शरमाती।

कभी रसोईघर के पीछे
करती रहती ऊपर-नीचे
कभी पेड़ पर यह चढ़ जाती
दिनभर सरपट दौड़ लगाती

चिक-चिक-चिक-चिक करती रहती
अपने नखरे यह दिखलाती
दिनभर चुनकर अपना चारा
अपने बिल में है घुस जाती।