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गीत अब बदलाव के हम साथ मिलकर गाएँगे / महेश कटारे सुगम

गीत अब बदलाव के हम साथ मिलकर गाएँगे ।
चल पड़े हम लोग तो कुछ और भी आ जाएँगे ।।

ज़ुल्म की चूलें हिलेंगी झूठ होंगे बेनक़ाब
चीख़ को अन्याय की देहलीज़ तक पहुचाएँगे ।

ज़ख़्म खाए हम सभी है दर्द सबका एक-सा
ढूँढ़कर अपने ग़मों की हम दवा अब लाएँगे ।

रोज़मर्रा के सवालों को उठाया जाएगा
ख़ौफ़ के रिश्ते न अब हर्गिज़ निभाए जाएँगे ।

साज़िशें जो भी हुई हैं आमजन के साथ में
अब सुगम गिन-गिन के सब बदले चुकाए जाएँगे ।