Last modified on 22 जुलाई 2014, at 21:37

गीत बनाएं / दीनदयाल शर्मा

Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:37, 22 जुलाई 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=दीनदयाल शर्मा }}{{KKCatKavita}}{{KKAnthologyGandhi}} {{KKCatBaa...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

बिस्तर में लेटे-लेटे ही,
आओ कोई गीत बनाएं।
नहीं आए जब कोई गीत तो,
उल्टे-सीधे शब्द सजाएं।

शब्दों का यह खेल है सारा,
शब्दों की ताकत को जानें।
शब्द-शब्द मिल बनती बातें,
शब्दों की ताकत पहचानें।

शब्द सजेगा गीत बनेगा,
गीत को मन ही मन में गाएं।
लय बन जाएगी स्वत: ही,
आओ रलमिल गुनगुनाएं।।