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गीत बहुत बन जाएंगे / शैलेन्द्र चौहान

यूँ गीत बहुत

बन जाएंगे

लेकिन कुछ ही

गाए जाएंगे

कहीं सुगंध

और सुमन होंगे

कहीं भक्त

और भजन होंगे

रीती आँखों में

टूटे हुए सपने होंगे

बिगड़ेगी बात कभी तो

उसे बनाने के

लाख जतन होंगे

न जाने इस जीवन में

क्या कुछ देखेंगे

कितना कुछ पाएंगे

सपना बन

अपने ही छल जाएंगे

यूँ गीत बहुत

बन जाएंगे

लेकिन कुछ ही

गाए जाएंगे