Last modified on 12 फ़रवरी 2010, at 15:54

गीत मन का दर्द सहलाते नहीं / विनोद तिवारी

गीत मन का दर्द सहलाते नहीं
इस शहर के लोग अब गाते नहीं

बेरुख़ी की हम शिकायत क्या करें
ग़लतियों पर दोस्त शरमाते नहीं

आज हर उपदेश उनके नाम है
जो कभी भी पेट भर खाते नहीं

बन गए मंदिर महंतों के क़िले
भक्त मंदिर में शरण पाते नहीं

आपने सुख टाँग रक्खे हैं वहाँ
हाथ मेरे जिस जगह जाते नहीं