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गीत 11 / छठा अध्याय / अंगिका गीत गीता / विजेता मुद्‍गलपुरी

सकल कामना के संकल्प सहज जे नासै
से जन आतम ज्ञान प्रकाशै।

मन द्वारा इन्द्रिय समूह के जे संयम से घेरे
नित क्रम से अभ्यास करै, नित नाम-सुमरनी फेरै
धीरज धरि बुद्धि के द्वारा मन के नित्य हुलासै
से जन आतम ज्ञान प्रकाशै।

जे ईश्वर के छोड़ि आन के कभी ध्यान नै लावै
नटखट बालक सन मन के बुद्धि नित डाँट लगावै
समझावै-फुसलावै-धमकावै अरु धैर्य विकासै
से जन आतम ज्ञान प्रकाशै।

पहिने बाह्य विषय रोकै, फिर अन्तः साफ करै जे
मन के ईश्वर में बाँधी, खुद सँग इंसाफ करै जे
उनका हिय में सदा-निरन्तर-नित परमेश्वर वासै
से जन आतम ज्ञान प्रकाशै।

जे तन-मन-इन्द्रिय-बुद्धि सब के सत्ता के नासै
से जन आतम ज्ञान प्रकाशै।