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गीत 14 / अठारहवां अध्याय / अंगिका गीत गीता / विजेता मुद्‍गलपुरी

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जब कर्मो के सकल भोग के हिया से संत दुरावै छै
ऐसन त्याग सुनोॅ अर्जुन निवृत्ति मार्ग कहलावै छै।

जे संन्यास पंथ के धारै
परमेश्वर के ध्यावै,
जे सांसारिक झंझट में
अपना के नै ओझरावै,
अहंकार ममता आसक्ति के जे सहज दुरावै छै
ऐसन त्याग सुनोॅ अर्जुन निवृत्ति मार्ग कहलावै छै।

सम-दम और तितिक्षा के
जे बोध कभी नै लावै,
श्रवण-मनन-चिन्तन में जौने
अपनोॅ वक्त बितावै,
भजन-स्मरण अरु कीर्तन में, जौने समय बितावै छै
ऐसन त्याग सुनोॅ अर्जुन निवृत्ति मार्ग कहलावै छै।

नारद-सनकादिक चरित्र के
जे जीयें पारै छै,
ऋषभदेव-शुकदेव चरित
जे जीवन में धारै छै
जौं पेकचा के पात कभी जल से नै नेह लगावै छै
ऐसन त्याग सुनोॅ अर्जुन निवृत्ति मार्ग कहलावै छै।