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गीत 19 / अठारहवां अध्याय / अंगिका गीत गीता / विजेता मुद्गलपुरी
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तीन तरह के सुख अब जानोॅ
कैसन सुख अमृत समान छिक, कोन गरल सन जानोॅ।
जे सुख में साधक-मनुष्य के नाम भजन भावै छै
भजन-ध्यान-संत के सेवा में जे सुख पावै छै
दुख के अंत संत जे पैलक, उनके सुखिया मानोॅ
तीन तरह के सुख अब जानोॅ।
जे सुख की आरम्भ काल में विष जैसन लागै छै
ऊ सुख के परिणाम मगर, अमृत जैसन लागै छै
इहेॅ सुख सात्विक सुख छेकै, एकरा तों पहचानोॅ
तीन तरह के सुख अब जानोॅ।
बालक के अध्ययन में नै, नित खेलै में मन लागै
विद्यालय के वर्जन उनका जेल के जैसन लागै
विद्यालय के वर्जन विष, परिणाम सुधा सन जानोॅ
तीन तरह के सुख तोॅ मानोॅ।