कृष्ण उवाच-
जगलोॅ कैसें मोह अकारण?
कहलन कृष्ण सखा अर्जुन से कहोॅ मोह के कारण?
नै हय नायक के चरित्र छिक, नै सु-कृति के दायक
हय नै स्वर्ग-मोक्ष के दाता, या न अपर सुख लायक
तजोॅ नपुंसकता अंदर के, करोॅ शौर्य गुण धारण
जगलोॅ कैसे मोह अकारण?
अर्जुन उवाच-
कहलन अर्जुन हे मधुसूदन हम पौरुष गुण धारब
लेकिन कैसें भीष्म-द्रोण के अपना हाथे मारब
दोनों पूजनीय अरिसूदन, करि दै द्वन्द्व निवारण
असमय उपजल मोह अकारण।
गुरुजन परिजन के मारी, हे कृष्ण न हम सुख पैबै
अर्थ-काम सुख से अच्छा कहि भीख माँगि केॅ खैबै
अपनोॅ परिजन के विरुद्ध गाण्डीव करब नै धारण
असमय उपजल मोह अकारण।