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गीत 1 / दोसर अध्याय / अंगिका गीत गीता / विजेता मुद्‍गलपुरी

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कृष्ण उवाच-

जगलोॅ कैसें मोह अकारण?
कहलन कृष्ण सखा अर्जुन से कहोॅ मोह के कारण?

नै हय नायक के चरित्र छिक, नै सु-कृति के दायक
हय नै स्वर्ग-मोक्ष के दाता, या न अपर सुख लायक
तजोॅ नपुंसकता अंदर के, करोॅ शौर्य गुण धारण
जगलोॅ कैसे मोह अकारण?

अर्जुन उवाच-

कहलन अर्जुन हे मधुसूदन हम पौरुष गुण धारब
लेकिन कैसें भीष्म-द्रोण के अपना हाथे मारब
दोनों पूजनीय अरिसूदन, करि दै द्वन्द्व निवारण
असमय उपजल मोह अकारण।

गुरुजन परिजन के मारी, हे कृष्ण न हम सुख पैबै
अर्थ-काम सुख से अच्छा कहि भीख माँगि केॅ खैबै
अपनोॅ परिजन के विरुद्ध गाण्डीव करब नै धारण
असमय उपजल मोह अकारण।