भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

गीत 2 / चौथा अध्याय / अंगिका गीत गीता / विजेता मुद्‍गलपुरी

Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 03:13, 14 जून 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विजेता मुद्‍गलपुरी |अनुवादक= |संग...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

अर्जुन उवाच-

सहजें अर्जुन प्रश्न उठैलन,
सूरज के अरु सखा कृष्ण के जब कि उमर मिलैलन।

सूरज अति प्राचीन
सखा तों समकालीन हम्मर छेॅ
आदि कल्प से आदि सूर्य छेॅ
तों साथी-सहचर छेॅ
अनकट्ठल सन बात लगल अर्जुन के, नै पतियैलन।

श्री भगवान उवाच-

कहलन कृष्ण सखा अर्जुन-
जीवन रहस्य तों जानोॅ
बहुत जनम हमरोॅ अरु तोरोॅ भेल
सत्य हय मानोॅ
हम सर्वज्ञ परम द्रष्टा छी, उद्घोषित तब कैलन।

हम अविनाशी और अजन्मा
ज्ञानी सर्वेश्वर छी
अपन योग माया से प्रकटल
मूल-प्रकृति-ईश्वर छी
कहलन मूल-प्रकृति से कैसे अपन रूप प्रकटैलन
श्री भगवान कृष्ण बतलैलन।