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गीत 3 / दोसर अध्याय / अंगिका गीत गीता / विजेता मुद्‍गलपुरी

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कहलन कृष्ण, पार्थ भ्रम त्यागोॅ।
वाणी तोर कुशल ज्ञानी सन, उठोॅ मोह से जागोॅ।

पहिने भी हम सब रहियै रेॅ, आगे भी सब रहतै
नित्य आतमा छिकै जगत में, तन रहतै, नै रहतै
देहो से इक अपर देह छै ई सत से नै भागोॅ
कहलन कृष्ण, पार्थ भ्रम त्यागोॅ।

सुख-दुख, हरष-विषाद भेद के धीर पुरुष सम जानै
धीर पुरुष ही जग अनित्य अरु परम सत्य पहचानै
जगत असत् के त्याग करी तों परम सत्य से लागोॅ
कहलन कृष्ण, पार्थ भ्रम त्यागोॅ।