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गीत 4 / तेसरोॅ अध्याय / अंगिका गीत गीता / विजेता मुद्‍गलपुरी

ब्रह्म प्रजापति जग उपजैलन
आदि कल्प में निज जन के आदेश यग के कैलन।

करौ पुष्ट तों देव जनोॅ के, देव पुष्ट तब करतोॅ
करौ पुष्ट एक-दोसरा के सब सुख नित्य मंजरतोॅ
रखोॅ सुखी तों सब जीवोॅ के, विधि आदेशित कैलन
ब्रह्म प्रजापति जग उपजैलन

यग भाग जब श्रद्धा से देवोॅ के अर्पित करवेॅ
यग देवता से बिन माँगल तों सब टा फल पैवेॅ
पावि कृपा जे जन जीवोॅ से, पुनि अर्पित नै कैलन
से जन चोर वृत्ति के पैलन।

जे जन ईश्वर के अर्पित करि, भोजन पान करै छै
मुक्त हुऐ ऊ सब पापोॅ से, सुख के ग्रहण करै छै
जे नै अर्पित करै त समझोॅ पाप कौर भर खैलन
ब्रह्म प्रजापति कहि समझैलन।