अर्जुन, उनके नाम विजेता
जे जीतै आपन अन्तः के, जे इन्द्रिय के जेता।
जे समस्त भोगों के त्यागै, देह करम भर जानै
ऊ गृहस्थ हो या संन्यासी, नित दिन हमरा ध्यानै
उनका सन हमरौ नै दोसर, वहेॅ हमर चहेता
अर्जुन, उनके नाम विजेता।
बिन इच्छा के प्राप्त वस्तु से जे जन तुष्ट रहै छै
बिन ईर्ष्या बिन शोक-हर्ष के, जे संतुष्ट रहै छै
सदा द्वंद्व से परे रहै जे, से जन चरितप्रणेता
अर्जुन, उनके नाम विजेता।
नै असिद्धि में हीन भाव, नै सिद्धि पावि बौरावै
सिद्धि-असिद्धि सदा सम समझी, भेद बुद्धि नै पावै
जे षड्दोष विकार रहित जन, से जन-जन के नेता
अर्जुन, उनके नाम विजेता।