बिना कर्म के फल संभव नै
बिना ज्ञान के विषय-वासना के
उलझन के हल संभव नै।
बिना कर्म के ज्ञान और निष्ठा के सिद्धि असंभव
बिना कर्म कैने मानव रहि सकै, न ई छै संभव
हठ बस लोग कसै इन्द्रिय के
ऐसें मन निर्मल संभव नै।
मन इन्द्रिय के बस करि नित निष्कामी कर्म करै छै
बँधै कभी नै कर्म फाँस में खुद के मुक्त करै छै
बिन करतब जे चहै भोगफल
मुद्गल उनकर भल संभव नै।
जे कर्त्तव्य परायण रहि कै तन निर्वहन करै छै
अनासक्त के भाव रखी ईश्वर के भजन करै छै
ज्ञानी कर्म करै फल त्यागी
परमेश्वर से छल संभव नै
बिना कर्म के फल संभव नै।