हमरा जाननिहार अडिग भेॅ, हमरोॅ भजन करै छै
जपै निरन्तर नाम हमर नित कीर्तन हमर करै छै।
करै जतन हमरा पावै के
नित उठि शीश झुकावै,
करै निरन्तर ध्यान हमर जे
जग से आश दुरावै,
हमरोॅ नाम हजार किन्तु गुरु एक नाम ही दै छै।
जे हमरा जानै से
घट-घट में हमरा पहचानै,
सोतें-जगतें, चलतें-फिरतें
ध्यान हमेशा आनै,
ज्ञानी-योगी महाशून्य में हमरोॅ ध्यान करै छै।
ज्ञान यग के द्वारा
योगी जन हमरा पूजै छै,
राखै जे अभिन्न भाव
अणु में विराट समझै छै,
योगी-समरथवान, पद्धति एक नया सिरजै छै
हमरा जाननिहार अडिग भेॅ, हमरोॅ भजन करै छै।