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गीत 9 / सतरहवां अध्याय / अंगिका गीत गीता / विजेता मुद्‍गलपुरी

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दान दैत सम्मान न जागल, तिरस्कार सन लागल
परते दान कुपात्र हाथ में, दान दोष तब जागल।

नै मलेछ के धेनु दान
नै चरितहीन के बेटी,
नै दुर्जन के भूमि दान दी
नै हिंसक के रोटी,
कपटी पाखण्डी के देलोॅ दान अकारथ लागल।

मातु-पिता-गुरु-भाय
मित्र-कवि हंता अत्याचारी,
परनिन्दक-ठग-चोर जुआरी
दान के नै अधिकारी,
मदपायी के देल दान, दाता सिर अपयश लागल।

भूखा-प्यासा-नंगा-रोगी
दान के ई अधिकारी,
अन्न-वस्त्र-जल-भूमि-औषधि
सब दानौं पर भारी,
दाता श्रेष्ठ चहेॅ छै जिनको नेह दान से लागल
दान दैत सम्मान न जागल, तिरस्कार सन लागल।