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गुड़िया-1 / नीरज दइया

जिस गुडिय़ा से था
प्यार बचपन में
वह कितना निष्पाप था

उसे दिन-रात चूमना
बार-बार गले लगाना
कितना बेदाग था

अब पाप में
दाग गिन भी नहीं पाता!