भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

गुरु के वचन अमियरस / सरहपा

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

गुरु के वचन अमियरस, धाइ न पीयेउ जेहि।
बहु-शास्त्रार्थ-मरुस्थले, तृषितै मरिबो तेहि।
चित्त अचित्तहु परिहरहु, तिमि रहहू जिमि बाल।
गुरुवचने दृढ़ भक्ति करु, होइ है सहज उलास।