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गुरु जी गेलौ / अमरेन्द्र

दीया, दीया जरले जो
फूल-फोॅर तों फरले जो
गाय घास तों चरले जो
दूध यहाँ सब धरले जो
चक्की दाना दरले जो
कोठी-कोठा भरले जो
गुरु जी आबौ, डरले जो
गेलौ गुरु, ससरले जो।