भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

गुलमोहर / अरुण कुमार नागपाल

Kavita Kosh से
द्विजेन्द्र द्विज (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:45, 16 मार्च 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अरुण कुमार नागपाल |संग्रह=विश्वास का रबाब / अरुण…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मुझसे कहीं अधिक व्यथित है
यह गुलमोहर
तुम्हारे वियोग में
अपने अनुभव से
मैंने यह जाना है
कि अक्सर निशि के तमस में
सिसकते हुए
यह तलाशा करता है
तुम्हारी परछाइयाँ
जानता हूँ
तुम नहीं लौटोगी
लेकिन याद रखना
तुम्हारी वापसी तक
क्षोभ में सिर झुकाए
हवा के थपेड़े सहता
यूँ ही
अनवरत
झरता रहेगा
हमारा गुलमोहर