भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

गृहिणी / शीला तिवारी

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:31, 21 जनवरी 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शीला तिवारी |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मन का विस्तार
क्षितिज के उस पार
दृग सपनों के सागर
उर करुणा के गागर
जीवन कलियों सा बंद कपाट
सुख-दुःख की पंखुड़ी झूलती साथ
मन में पीड़ा का नर्तन
अधर पर मुस्कान के मकरनंद
मखमली सपने मानस-पटल पर सजे
रहती अधर अक्सर सिले हुए
न खुद की सुधि, न खुद की ज़िंदगी
वात्सल्यमयी सुधा बन बरस रही
व्यथा जीवन की कसमसाहट भरी
स्वयं यथास्थिति से जकड़ी रही