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गेंद (दो) / अक्षय उपाध्याय

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खिलाड़ियों की स्मृति के साथ
चुप, उदास
इस गेंद के पास
अपनी कौन सी दुनिया है

किन स्वप्नों के लिए जीवित वह गेंद
कौन सी कविता रचेगी

सीटी की मार के साथ
लथेरी गई
बिना जीत की ख़ुशी में
पिचकी इस गेंद का हक़
खिलाड़ियों की नींद में ग़ुम हो जाता है

मैदान के खाली होने पर
जाल समेटते माली ने
अंतिम बार देखा उसे और बुदबुदाते हुए कहा था
ससुरी गेंद यहीं पड़ी रह गई ।

गेंद के जीवन में
मृत्यु का यह पहला अवसर था ।

गेंद सोचती है पहली बार
अपनी ज़रूरी कार्यवाही के बारे में ।