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गोद में जिस वक्त आया लाल थोड़ी देर को / महेश कटारे सुगम

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गोद में जिस वक़्त आया लाल थोड़ी देर को ।
माँ हुई उस वक़्त मालामाल थोड़ी देर को ।।

बाँसुरी उसने जो छेड़ी नाच उट्ठी ज़िन्दगी,
गोपियों में वो बना नन्दलाल थोड़ी देर को ।

हो गई महंगी तो मुद्द्त बाद आई सामने,
स्वाद में मुर्गी लगी वो दाल थोड़ी देर को ।

भाव था ऊँचा बहुत मुँह रह गया मेरा खुला,
देख कर घर में टमाटर लाल थोड़ी देर को ।

फिर सियासत में करोड़ों का घोटाला हो गया,
हो गए पढ़कर ख़बर बेहाल थोड़ी देर को ।

कौनसी सब्ज़ी बना लूँ पूछ बैठी जब बहू,
सास सुनकर हो गई ख़ुशहाल थोड़ी देर को ।

ख़्वाब में दामन सुगम का वो झटक कर चल दिए
नींद में ही हो गया कंगाल थोड़ी देर को ।।

20-01-2015