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गोधूलि में मौत / मिरास्लाव होलुब / राजेश चन्द्र

ऊंचाई पर, और ऊंचाई पर ।
उसके आख़िरी शब्द भटक रहे थे
छत के इर्द-गिर्द बादलों की तरह ।
साइडबोर्ड रो पड़ा ।
तहबंद सिहर उठा
मानो उसे आड़ देनी हो रसातल को ।
अंत । युवा जितने भी थे
सब जा चुके थे बिस्तर पर ।

लेकिन आधी रात होते न होते
मृत स्त्री उठ पड़ी,
मोमबत्तियां बुझा दीं
(उनके अपव्यय पर अफ़सोस के साथ),
जल्दी-जल्दी मरम्मत की आख़िरी ज़ुराबों की,
उसे मिल गए उसके पचास सिक्के
दालचीनी के डब्बे में
जिन्हें रख दिया मेज के ऊपर उसने,
उसे मिल गई वह कैंची
जो गिरी हुई थी कपबोर्ड के पीछे,
मिल गया वह दस्ताना
जिसे खो दिया था साल भर पहले उसने,
उसने सभी दरवाजों की जांच की,
पानी की टूंटियों को कस कर बंद कर दिया,
कॉफ़ी की आख़िरी घूंट भरी
और वापस गिर पड़ी ज़मीन पर ।
सुबह-सवेरे ही वे ले गए उसे वहां से दूर ।
उसका कर दिया गया अन्तिम-संस्कार ।
उसकी राख़ एकदम खुरदरी थी
कोयले की तरह ।

अंग्रेज़ी से अनुवाद : राजेश चन्द्र