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गोरी की होली / आशा कुमार रस्तोगी

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हिय में उमंग भरि, प्रीति की तरँग सँग,
बिन कोऊ रँग, काहे गालन पर लाली है!

काहे सकुचाति, अरु काहे को लजाति, सखि,
पूरे एक बरस के बाद होली आई है!

बरसत हैं रँग, सँग भीजत जो अँग,
भले होत हुड़दंग, गोरी पिय की दुलारी है!

लाल हरे पियरे औ नीले भले होँ रँग,
होली को रँग सब रँगन पै भारी है! !