भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
गोरोॅ गोरोॅ गालोॅ पर लाज के ललाई जेना / अनिल शंकर झा
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:14, 24 मई 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अनिल शंकर झा |अनुवादक= |संग्रह=अहि...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
गोरोॅ गोरोॅ गालोॅ पर लाज के ललाई जेना
कमलोॅ के फूलोॅ पर लाली ठहराय छै।
अनचोके कुच भार उचकि उछाल मारै
झिलमिल रेशमी के साड़ी लहराय छै।
चानी रं देह मह सजलोॅ अलक राशि
कामना के लाली लाल लोचन लखाय छै।
रूप मदमाती मदहोश मनमोहिनी के
देखी योगिराज हतयोग भहराय छै॥