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गोर्बाचोव / खगेंद्र ठाकुर

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मेरे प्यारे गोर्बी!
तुम महान हो क्योंकि
तुम आत्महत्या कर सकते हो
मुश्किल है जीना फिर भी
दुर्लभ होते हैं वे जो
मौत को बुलावा देते हैं
 
तुम महान हो क्योंकि
जीवित हो तुम
आत्महत्या के बाद भी
तुम देख सकते हो,
तुम सुन सकते हो,
अनुभव कर सकते हो
सिर्फ कर नहीं सकते कुछ भी.
 
मेरे प्यारे गोर्बी!
महान हो तुम
तुम्हारी स्वाभाविक मुस्कान
छोड़ गयी तुम्हें या
लुटा दिया तुमने उसे
कौन लुटाता है अपनी मुस्कान
आज के जमाने में!
तुम सचमुच महान हो गोर्बी
 
मेरे प्यारे गोर्बी!
तुम्हें कहने लगे हैं लोग
हमारे गाँव की भाषा में
गोबर का चोथ
वे पवित्र करते हैं अपना घर
गोबर से लीप कर
लेकिन ताजा गोबर से,
तुम तो प्रतीक्षा कर सकते हो
हम भी कर सकते हैं
प्रतीक्षा में सूख जाता है गोबर
गोबर प्रतीक्षा करता नहीं रह सकता
क्या तुम्हें रह गयी है किसी की प्रतीक्षा?
प्रतीक्षा मुझे है तुम्हारी नहीं!